AutorRTJD Bharat ke jaane pahchane Taaraamandal - Incognita Island

  आसमान में हम जब भी नजर उठाके देखते है तो एक ही एहसास होता है आखिर कितना बड़ा है ये ब्रह्माण्ड ?  और क्या इस पूरे ब्रह्माण्ड में हम अकेले म...

Bharat ke jaane pahchane Taaraamandal

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 आसमान में हम जब भी नजर उठाके देखते है तो एक ही एहसास होता है आखिर कितना बड़ा है ये ब्रह्माण्ड ?  और क्या इस पूरे ब्रह्माण्ड में हम अकेले मात्र हैं ? । इसी तरह के सोच से परहेज खयाल आते हैं जब भी हम आसमान का रुख करते है तो हमें सिवाय उत्सुकता और प्रश्नों के आलावा कुछ नही हासिल होता है । ऐसा इसलिए क्योंकि हम इसकी खूबसूरती पर कम और इसके वजूद पर ज्यादा ध्यान देते है । आज भी वैज्ञानिकों की कई संस्था इन विषयों पर निरीक्षण कर रही है । आसमान शब्द बोलने में अति सहज और साधारण लगता है मगर इसका अर्थ और परिभाषा उतनी ही जटिल और संरचनात्मक है । आसमान की वास्तविक भव्यता तो रात के अंधेरी में पता चलती है जब सूरज की छवि धरती के उस पार होती है । देखा जाय तो रात और दिन का होना हमारे जीवन की एक साधारण दिनचर्या में आते है मगर इसके पीछे छुपा रहस्य जानकर हैरानी ही होती है । वास्तव में रात पूरी धरती पर न होकर पृथ्वी के आधे भाग पर होती है दूसरे भाग पर दिन होता है ये परिक्रम बदलता रहता है जिसे शाश्वत समय रेखा कहते है । परन्त धरती पर कुछ ऐसी भी जगहें है जहा ये दोनों सिद्धांत लागू नहीं होते है जेसे नार्वे , जापान और दक्षिणी गोलार्ध । क्या आप जानते है हम तारो को दिन में ही क्यों देख पाते है ? इसका भी एक कारण है , यूं तो हर चीज के पीछे एक कारण जरूर होता है । दिन में सूरज की किरणे हमारी आंखों की रेटीना को परिवर्तित कर देती है जिस कारण हम तारो की मौजदूगी मालूम नही पड़ती है । दूसरे शब्दों में कहें तो हमे तारे तभी नजर आते है जब उनके पीछे सूरज का प्रकाश पड़ता है । क्या आपको पता है हम जिस जगह से जिन तारो को देख पाते है क्या उन्ही तारो को हम दूसरी जगह से भी देख पाएंगे ? इसका जवाब इतना साधारण भी नही है ये हमारे सर्फेस और समय पर निर्भर करता है  । इसलिए धरातल और मौसम का भी इसके उपर प्रभाव पड़ता है । आइए भरता के कुछ तारामंडल के बारे में जान लेते है की ये कैसे दिखाई देते है । तारामंडल तारो का एक समूह होता है जो एक आकृति का निर्माण करता है । हा कई तारामंडल में गृह और धुलकन के एस्टीरियड भी शामिल होते है ।  तारामंडल आसमान का अलंकार है या यू कहे तारामंडल ही आसमान है । जब भी रात की खूबसूरती की बाते की जाती है तो पहले जिक्र आसमान का होता है इससे पता चलता है की हमारे जीवन में आसमान की अहमियत कितनी ज्यादा है  भारत के कुछ जाने पहचानें तारामंडल -         

  1. वृहत सप्तर्षि 
      सप्तपुरुष या उर्सा मेजर कहलाने वाला ये तारामंडल सात तारो का        एक समूह है जो प्रश्न वाचक चिन्ह के जैसा दिखाई देता है इसे चारपाई    और हासिया भी कह जाता है । ये प्रमुख तारामंडल की सूची में आता      है ।
  1.  हल का आकार  इसमें भी सात तारो का गुच्छा है और पहले वाले तारामंडल से काफी      ज्यादा मिलता जुलता भी है इसको हल के आकार का दिखाई देने के      कारण इसको इसी नाम से जाना जाता है । ये उत्तर दक्षिणी भाग में        देखा जा सकता है बरसात मौसम में ।
    1. 3." V " अक्षर 
       अंग्रजी  वर्णमाला के अक्षर " V " जैसी आकृति में होता है इस कारण   इसकी खोज हुई । ये मात्र तीन ही तारो का तारामण्डल होने कारण सबसे छोटा तारामण्डल भी है ।    

          4. कालपुरूष या मृग 
                  यह भारत का मुख्य कालपुरुष है जिसे मृग भी कहा जाता                है । ये दिखने में सबसे सुंदर और नजदीक होने की वजह                  से चमकदार भी है । 



    कहा जाता है धरती पर जीतनी भी चीजे उपस्थित है उनका तारामंडल आसमान में मौजूद है मगर हम उनको ढूंढ नही पाते है । इसलिए तारामण्डल के नाम उनके समान दिखने वाली वस्तुओं के आधार पर रखा गया हैं , कई देशों में इनका नाम बदल जाता है । तारामण्डल अस्थिर है वे समय के साथ अपनी जगह बदलते जाते है इससे हम ये अंदाजा लग जाता है की तारे स्थिर नहीं होते है । मगर ये अत्यधिक दूर होने के कारण हमें इनकी चलन का अनुभव सही से नही हो पाता है । पृथ्वी के परिक्रमण के कारण ये अपनी दिशा बदल लेते है जिसकरण पुराने समय में हमारे बुजुर्ग इनकी स्थिति के द्वारा दिशा और मौसम का अंदाजा लगा लेते थे । मगर तारे अपने मार्ग पर भी गति कर रहे है और ये हजारों वर्षों में अलग भी हो जाते है और एक नया तारामंडल बना लेते है या पुराना तारामंडल तोड़ लेते है । इनकी गतिविधियों को टेलीस्कोप द्वारा देखा जा सकता है ।








     



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