AutorRTJD भारत देश का दूसरा भाग - Continet Drift Theory - Incognita Island

    आज ये सुंदर और अद्भुत दिखने वाला हमारा प्यारा देश भारत पहले ऐसा नहीं दिखता था और ना ही  ये एशिया महाद्वीप का कोई भाग था । तो ये यहां कैस...

भारत देश का दूसरा भाग - Continet Drift Theory

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 आज ये सुंदर और अद्भुत दिखने वाला हमारा प्यारा देश भारत पहले ऐसा नहीं दिखता था और ना ही  ये एशिया महाद्वीप का कोई भाग था । तो ये यहां कैसे एशिया का हिस्सा बना और उससे पहले ये कहा था ? आज मैं आपको इन्ही सब प्रश्नों को लेकर एक बार फिर हाजिर हूं आपकी सेवा में तो चलिए जानते है भारत देश का जन्म कैसे हुआ ? ये बात 20 से 25 करोड़ वर्ष पूर्व की है जब इस धरती पर नाही कोई उपखंड या खंड नही होते थे तब एक ही महाखंड (super continent ) हुआ करता था जिसे पेंजिया ( pangaea ) नाम दिया गया ।

दोस्तों कुदरत का नियम है कि हर वस्तु गतिशील है चाहे वो निर्जीव हो या सजीव वो इनडायरेक्ट रूप से गति करती है । उसी तरह हमारी धरती की प्लेट्स निरंतर खिसकती रहती है मगर ये प्रक्रिया इतनी मंद होती है की हमें इसका बदलाव हजारों या करोड़ों वर्षो में नजर आता है । पेंजीया महाखण्ड में एक ही महासागर हुआ करता था पेथलासा ( pathalasa )  । बादमें पैंजिया (pangaea) सुपर कांटिनेट का विभाजन हुआ और दो खंडों का निर्माण हुआ लार्सिया ( laursia ) और गोंडवाना ( gondwana ) और इस बात का पता

लगाया महान भौगालिक वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेजनर ( Alfred Wegener 1880 -1930 ) ने । इसी समय सरीसर्प जेसे स्तनधारियों का विकास हुआ था । इन दो खंडों के विभाजन में पहले खंड लॉर्सिया में एशिया , उत्तर अमेरिका और यूरोप महाद्वीपो का निर्माण हुआ और दूसरे खंड गोंडवाना में दक्षिण अमेरिका , अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिक जेसे महाद्वीपों का जन्म हुआ । इन खंडों में आंतरिक और। इन खंडों के बिच प्रतिकर्षण बल ( Repulsive force ) लागू होता है जिस वजह से ये लगातार एक दूसरे से दूर हटत जा रहे है । ये खिचाव की प्रक्रिया आज भी हो रही है मगर इसकी धीरता के कारण हमें महसूस नहीं होती है । इस प्रक्रिया को सन् 1596 में अब्राहम ओर्टेलियस ने

महादिपीय विस्थापन सिद्धांत ( Continet Drift Theory ) का नाम दिया था । अफ्रीका और भारत देश एक ही खंड में आते थे उस वक्त मगर फिर इनमे भी विस्थापन हुआ और ये एक दूसरे से अलग हो गए । भारत का वह टुकड़ा गोंडवाना खण्ड से निकल कर लॉर्सिया खंड के एशिया महाद्वीप की सीमा पर धस गया क्योंकि नियम के अनुसार जब कोई दो वस्तु की आपस में भिड़त होती है तो भारी वस्तु नीचे धस जाती है और हल्की वस्तु उपर उठ जाती है । यही भारत देश के साथ भी हुआ गोंडवाना खंड से आए भारत का दूसरा टुकड़ा पहले वाले भारत के टुकड़े के नीचे धस गया ।  जिस वजह से भारत का पहला वाला हिस्सा उपर उठ गया और जिस कारण हिमालय जेसे विशाल पहाड़ो का निर्माण हो गया । और यह दो धरातल का संगम कई बार भूकंप जेसी परिस्थितियां पैदा कर देता है । हालाकि भारत के संगम से कोई विशाल भूकंप की उत्पति तो नही हुई है मगर समय समय पर भूकंप के झटके महसूस होते रहते है । और इस तरह भारत की भोगलिक सुंदरता में चार चांद लग गए हिमालय के निर्माण से मगर ये प्लेट्स का खिसकना जारी है इसलिए दिनों दिन हिमालय के माउंट एवरेस्ट ( Mount

Everest )
जेसे पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ती ही जा रही है । महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने ये भी कहा था की ये  खंड(  continents ) आज भी एक दूसरे में फिट बैठते है , अगर इनको एक साथ पुनः जोड़ दिया जाए तो पैंजिया ( Panagea ) का निर्माण फिर से हो सकता है । अल्फ्रेड ने जब ये सिद्धांत दुनिया का सामने बताया तो उनको नकारा भी दिया और उन्हें अपनी नौकरी से हाथ भी धोना पड़ा । लोगो ने इनको पागल करार दिया जिस कारण अल्फ्रेड ने अपने सिद्धांत को सही साबित करने के लिए दुनिया जगत में भ्रमण करके कई पदार्थ

एकत्रित किए । जो  सिद्ध करते है की दुनिया के अनेक कोनो में एक जेसे ही पदार्थो उपस्थित है और ये सब continent drift theory को सही साबित करते हैं । 1930 में अवलोकन करते करते ये महान यक्तित्व कही गायब हो गए । उनके मरने के कुछ वर्षो में उनके परीक्षणों और सिद्धांत को दुनिया ने अपना लिया । 


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