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  सेंटिनेल आइलैंड : अंडमान  और निकोबार द्वीप समूह का नाम आप लोगो ने सुना ही होगा ये हमारे देश के 7 केंद्र शासित प्रदेश में से एक है । यह कुल...

क्यों खतरें में हैं सेंटिनल आइलैंड ?

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सेंटिनेल आइलैंड :अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम आप लोगो ने सुना ही होगा ये हमारे देश के 7 केंद्र शासित प्रदेश में से एक है । यह कुल 572 छोटे बड़े द्विपो का संघम है 8,249 वर्ग किलो मीटर में फैला हुआ हैं । इन्हीं द्वीपो में से एक द्वीप है सेंटिनल आइलैंड जो पोर्ट ब्लेयर से 50 किलो मीटर की दूरी पर महज 23 वर्ग मिल में बसा हुआ एक टापू है । इस टापू पर सेंटीनेलिया नामक जंगली प्रजाति का वास-वसन हैं जो हमारी दुनिया से परे और बाहरी दुनिया से अंजान है । जब-जब हमने इनसे संपर्क बनाने की कोशिश की इन्होंने तीर और भाले ही चलाए है । मगर कुछ समय से इनकी आबादी में गिरावट देखने को मिल रही है , अकड़ो की माने तो अब केवल 60 - 65 ही शेष रह गए है । इनका इस तरह कम होना और इस असभ्य व्यवहार का अभी तक कोई पुख्ता कारण नहीं मिल पाया है । इनके इस आइलैंड को आप मैप पर नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड के नाम से खोज सकते है । यहां अभी तक इंसानी हस्तक्षेप का कोई विकासनीय स्थायित्व नहीं हुआ है । 

चित्र: गूगल वेबसाइट


सेंटिनल का चर्चा में होने का कारण : सन् 1883 ईसवी में जब से इस आइलैंड की खोज हुई है तब से यह चर्चा का विषय बना हुआ है और आज ये बहुत बड़ा और रहस्यमय पहेली बन गया है । और आज की तारिक में हर कोई इसके डरवाने किस्से सुनकर दंग रह जाता है । समय के साथ इसके नए - नए मामले आते जारहे है और ये और भी सुर्खिया बटोर रहा है । चर्चा का विषय ये तब से बन गया था जब दृतीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों की एक घायल टुकड़ी ने भूल - भूलिए में इस आइलैंड पर आश्रय लेने के लिए आ पहुंचे । फिर उनमें से कुछ ही सैनिक किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग गए और बाकी को सेंटीनेलिया ने तीर - कमान से खदेड़ दिया । ऐसा ही सन् 1981 में एक जहाजी बेड़े के साथ हुआ वो भी अपना मार्ग भटकर उस आइलैंड पर जा पहुंचा था ,  हालाकि उसे हेलीकॉप्टर द्वारा बचा लिया गया । सन् 2006 में दो मछुवारे मछलियों की तलाश में भटकते -  भटकते सेंटिनल पर पहुंच गए थे और 3 दिन के बाद उनकी लाश दूसरे मछुवारे को बरामद हुई । सर्वाधिक चर्चित तो ये आइलैंड तब हुआ जब एक अमेरिकन ईसाई धर्म प्रचारक जॉन एलन चाऊ ने ईश्वर का दूत बन कर गैरकानूनी तरीके से सेंटीनेल पर जा पहुंचा । और दो दिन के अंदर ही किसी वजह से उसकी मौत हो गई , जो मछुवारा उसको आइलैंड तक छोड़ कर आया उसके पास जॉन एलन चाऊ का लिखा हुआ खत भी बरामद हुआ । अनुमान लगाया गया की सेंटीनेलिया ने ही उसकी हत्या करी थीं । सरकार ने भी कई बार असमर्थ प्रयास किए उनसे संपर्क साधने और अपना दोस्ताना दिखाने का मगर बात नही बनी और आखिर में सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए थे । ताकि दोनो पक्षों को जनहानि से बचाया जा सके । 
   चित्र : गूगल वेबसाइट

खतरें में है सेंटीनेलिया : जॉन एलन चाऊ की मौत को लेकर अमेरिका भी परेशान है सेंटिनल आइलैंड से और उसका भी छाया मंडरा रहा है अब । और भी कई देशों ने इस आईलैड पर अनमोल खनिज पदार्थ की प्राप्ति की आंशका जाता रहे है । इसी तरह के संपति लालच ने सेंटिनल आइलैंड का अस्तित्व अब खतरें में है । हालाकि इनकी भाषा संकेतात्मक नही है जिस वजह से आपस में कोई वार्तालाप जैसा कुछ हो नहीं पारहा  है । 
फिर भी उनकी शारीरिक प्रतिक्रिया और हिंसात्मक व्यवहार को देख कर इतना तो समझ में आ रहा है की वो हमसे नफ़रत करते है । और वो हमें किसी तरह का खतरा समझते है इसलिए वो अपने आप की रक्षा के लिए हमसे लड़ते है । वो अपनी छोटी सी ही दुनिया में खुश है उनको इसके अलावा कुछ नहीं चाहिए । कुछ विशेषज्ञ ने भी आंशका जताई है मानव हस्तक्षेप से उनकी प्रजाति में मानवीय बीमारियां का प्रकोप पनप सकता है । उनका वातावरण हमारे वातावरण से भिन्न और शुद्ध है इसलिए हमारा कोई अधिकार नहीं बनाता की हम उनके जीवन में ज़हर घोले । अगर भविष्य में उधर से ही कोई प्रस्ताव या कोई कदम होंगा तब ही हम उनसे समझौता करेंगे । मगर वर्तमान में इनका वसन हमारे अवलोकन और हलचल से प्रभावित हो रहा है इन्हे और परेशान करना उचित नहीं है । जरा सोचो कल कोई अन्य गृह से एलियन आकर हमे इस तरह परेशान करेंगे तो हम क्या करेंगे ?  मुझे पता है मिसाईल , रॉकेट और परमाणु ही लंच करेंगे न । मुझे पता है , जब अपने पर आती है तो कैसा लगता है । जो भी है ये अपनी जिंदगी से खुश है और फिलहाल इनका कोई इरादा नहीं है हमसे किसी प्रकार का संबंध बनाने का । और इतना तो हमें भी समझ में आजाना चाहिए आखिर हम ब्रह्मांड के सबसे बुद्धिमान जीव है । 
आपको क्या लगता है सेंटिनल आइलैंड खतरें में है या नहीं हमे आपके विचार जरूर दे ।

      लेखक


आर. टी. जे. डी. बड़वानी जिले के देवली नामक नाम गांव से है । इन्होंने कई लेख लिखे है , आप इन्हे प्रतिलिपी जैसे राष्ट्रीय स्तर सोशल प्लेटफार्म पर सक्रिय देख सकते है। हालही ही में ये  ब्लॉग की दुनिया में अपना प्रदर्शन  दिखा रहे है । आप मात्र 13 वर्ष की आयु से ही समाज  कल्याणी सेवा जैसे भाव से प्रभावी होकर लेखन  कार्य शुरू कर दिए थे । आप ने बड़वानी में अपनी 12 वी तक का  शिक्षण पूर्ण किया । अब आप सोशल मीडिया पर कार्यगत है ।





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