AutorRTJD बृहस्पति : Jupiter The biggest Planet in Solar Family - Incognita Island

  सौरमंडल में सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह और सबसे भारी ग्रह बृहस्पति है इसका वजन दूसरे ग्रहों की तुलना में 2.5 गुना अधिक भारी है।

बृहस्पति : Jupiter The biggest Planet in Solar Family

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सौरमंडल में सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह और सबसे भारी ग्रह बृहस्पति है इसका वजन दूसरे ग्रहों की तुलना में 2.5 गुना अधिक भारी है। यह सूर्य के बाद पांचवा और परिवार में सबसे बड़ा सदस्य है जीसे अंग्रेजी में जुपिटर ( JUPITER ) कहा जाता है । जुपिटर सूर्य की परिक्रमा 12 वर्ष में पूर्ण कर लेता है और अपनी धुरी पर घूर्णन करने के लिए इसे सिर्फ  9 घंटे और 55 मिनट का समय लगता है । बृहस्पति पर दिन और रात का फासला बहुत छोटा होता हैं कारण  यही है की यह अपने घूर्णन पर सबसे तेजी से घूमता है । बृहस्पति और सूर्य के बीच में इतना लंबा फासला होने के बावजूद सूर्य के किरने इस पर पहचाने में केवल 43 मिनट का समय लेती है ।  रोमन के देवता ' जुपिटार ' के नाम पर इसका नाम जुपिटर रखा गया है । जिसका शाब्दिक अर्थ   ' महान् या विस्तृत ' होता है । Jupiter Planet का  गुरुत्वाकर्षण बल ( Gravitational Force ) पृथ्वी के बल से अधिक है जिस कारण पृथ्वी पर जिस वस्तु का वजन 100 किलो ग्राम होंगा वही वस्तु का वजन Jupiter पर 240 किलो ग्राम होंगा । बृहस्पति है तो विशाल मगर यहां पर अनुकूल वातावरण ना होने के कारण जीवन का निर्माण या यापन संभव नहीं है इसलिए वैज्ञानिकों ने भी यहां पर जीवन बसाने की उम्मीद छोड़ दि है । वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया की जुपिटर का बाहरी वातावरण क्लाउड बेल्ट ( Cloud Belt ) और जोन (Zone ) में बाटा गया है । जिसके तहत पता लगाया गया की यह आवरण अमोनिया क्रिस्टल ( Ammonia Crystal ) और सल्फर ( Sulfur ) दो योगिको के मिश्रण से बना हुआ है । जुपिटर का वायुमंडल हाइड्रोजन (  Hydrogen ) और हीलियम ( Helium ) गैसो के संघठन से बना है । जुपिटर पर अन्य गैस और जल की मात्रा काफी कम है जुपिटर का 95% भाग हाइड्रोजन से बना हुआ है । जुपिटर की आंतरिक परत  चट्टानों , धातुओं और हाइड्रोजन योगिकों के संगठनों से बनी हुई है ।  जुपिटर पर रंग - बिरंगे बादल जैसा आवरण पाया जाता है जो जुपिटर को अन्य ग्रहों की तुलना में अलग पहचान देता है । यह बादल लाल , भूरे , पीले और सफेद रंग के होते है , इनका मिश्रण एक भव्य दृश्य निर्माण करता है जिस देख हर कोई प्रफुल्लित हो उठता है ।  ये बादल जुपिटर पर प्रतिभूतियों ( Strips ) के रूप में दिखाई देते है । बृहस्पती के निरीक्षण के लिए NASA द्वारा 8 अंतरिक्ष यानों का इस्तेमाल किया गया जिन्हे सन् 1979 से 2007 के बीच बृहस्पती की कक्षाओं में भेजा गया जिनमे - पायनियर , वयोगेर ,अलिसेस और न्यू होराइजन शामिल है ।  इसके अलावा जुपिटर को ' द ग्रेट रेड स्पॉट ' ( The Great Red Spot ) के लिए भी जाना जाता है इसकी खोज 17 वी शताब्दी ही कर दी गई थी ।  वास्तव में यह रेड स्पॉट जुपिटर पर उठने वाली धूल भरी आंधी ही है जो विशालकाय आकर की है , इतनी विशाल की इसमें हमारी पृथ्वी भी आराम से समा जायेंगी । 



जुपिटर इतना विशाल है की हम भी अपनी नंगी आंखो से भी इसको देख सकते है । यह दिखने में एक चांद के समान भूरा नजर आता है । पिछले वर्ष ही 20 दिसंबर 2020 को सुनहरा मौका था जब शनि और बृहस्पति दोनो के बीच की दूरी महज 0.1 डिग्री रह गई थी जिसे लोगो ने बिना दूरबीन के भी देखा था । ऐसा अनोखा संगम 17 जुलाई 1623 के बाद से अब हुई थी और अब ये खगोलीय घटना 15 मार्च 2080 को फिर दिखाई देंगी । बृहस्पती कितना बड़ा है इससे संबंधित जानकारी भी उतनी ही बड़ी और रोमांचक है अब भारतीय अंतरिक्ष यानों ने भी जुपिटर की सतह पर सार्थक कदम रखे है । आशा है भविष्य में हम बृहस्पति को एक परिचित ग्रह के रूप में देख सकेंगे और अपना उन्नति का परचम लहरा सकेंगे । 





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