AutorRTJD नासा ने खोजा नया ग्रह new earth in space - Incognita Island

 आए दिन वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष एजेंसियों ने कुछ न कुछ उपलब्धियां हासिल किया करते है । मानवता का विकास तीव्रता से हो रहा है और यही मसला है ज...

नासा ने खोजा नया ग्रह new earth in space

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 आए दिन वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष एजेंसियों ने कुछ न कुछ उपलब्धियां हासिल किया करते है । मानवता का विकास तीव्रता से हो रहा है और यही मसला है जो एक दिन भविष्य में हमे नए घर कहने का मतलब नए ग्रह की जरूरत पड़ने वाली है । नासा जेसी उत्कृष्ट अंतरिक्ष संस्था निरंतर इसी समस्या का हल ढूंढने में लगी हुई है ।


यहां तक उन्होंने 2031 तक साधारण मनुष्य की यात्रा को भी सफलतापूर्वक कराने का दावा किया है । और ये बात कुछ हद तक सही भी लगती है क्योंकि इससे पहले भी नासा ने कई असंभव मिशन को अंजाम दिया है । और इसी कड़ी में अब नासा ने बहुत ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है नासा के वैज्ञानिको ने 13,000 प्रकाश वर्ष दूर एक नए जमे हुए ग्रह का पता लगा लिया है जिसका द्रव्यमान पृथ्वी के समीम ही है । इस प्लेनेट की खोज से हमारे ग्रह के इतर दूसरी तरह की ग्रहीय व्यवस्थाओं को समझने में मदद मिलेंगी । शोधकर्ताओं की मानी तो ये ग्रह फिलहाल में बहुत ठंडा है जिस कारण इस वक्त वहा मनुष्य के रहने लायक वातावरण नही है । मगर भविष्य में वहा एक अनुकूल वातावरण की घनिष्ट आसार देखे जा सकेंगे । इसके अत्यधिक ठंडे होने के पीछे इसके तारे का बेहद निस्तेज होना है । संयुक्त राज्य अमेरिका
 में नासा की जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी के योसी श्वाटॉर्चवाल्ड ने कहा है " माइक्रोलेंसिंग के जरिए खोजा गया ' आइसबॉल ' सबसे कम द्रव्यमान वाला ग्रह है  । " आपको बता दे कि माइक्रोलेंसिंग एक ऐसी तकनीक होती है जो पृष्ठभूमि के तारो का प्रयोग फ्लैशलाइट के तौर पर करके सुदारवर्ती चीजों की खोज की सुविधा प्रदान करती हैं ।      

इन्ही सभी संकेतो से एक बात तो साफ नजर आती है की नासा " आईसबॉल " पर जीवन बसाने की फिराक में है । अभी तक नासा ने इस खोज से संबंधित कई पहलुओं को गुप्त ही रखा है । और इसके बारे में कोई आधिकारिक सूचना भी नही दी है वो इस मिशन को लोगो से छुपाकर काम कर रहे है । 


 कुछ दिन पहले ही ऐसी है खबर आई थी की नासा ने पृथ्वी के चारो ओर मानव निर्मित अवरोधक का पता लगाया है । नासा के अनुसंधान के द्वारा पृथ्वी के बाहरी आवरण में मानवनिर्मित अवरोधक का पता चला है जो उच्च ऊर्जा वाले अंतरिक्ष विकिरण के अनुसंधान के द्वारा पृथ्वी के बाहरी आवरण में मानवनिर्मित को ग्रह पर आने से बाधित करता है । मनुष्य लंबे अरसे से पृथ्वी के भू-परिदृश्य का आकर निश्चित करने का प्रयत्न करता आ रहा है । और अब तमाम प्रयासों के बाद वेज्ञानिको ने ये पाया की हम अपने निकटवर्ती अंतरिक्ष पर्यावरण का भी मापन करने में सक्षम है । अनुसंधान के द्वारा एक विशेष प्रकार की संचार व्यवस्था - बहुत कम आवर्ती वाली रेडियो संचार - व्यवस्था को अंतरिक्ष के कणों को प्रभावित करते हुए देखा गया । इस वजह से कणों के स्थान में परिवर्तन की क्रिया प्रभावित होती है । कई दफा ये परस्पर प्रक्रिया अंतरिक्ष की उच्च ऊर्जा वाले विकिरण के विरुद्ध पृथ्वी की चारो ओर एक अवरोधक बना लेती है । इस अनुसंधान का का प्रकाशन ' स्पेस साइंस रिव्यू '( space science review ) ' जर्नल में हुआ था ।




मनुष्य ने जितना विकास धरती पर किया है भविष्य में उतना ही विकास अंतरिक्ष में देखने को मिलेगा । और ये कड़वा सच भी है की मनुष्य ने जितनी गंदगी धरती पर फैलाई है उतना ही प्रदूषण वो अंतरिक्ष में भी करेगा । माना की नए खोजो और अविष्कारों से उन्नति होती है मगर ऐसी उन्नति किस काम की जिसके बदले हमे अपने अस्तित्व को क्षति पहुचाते हैं । आज नासा विश्व की उत्कृष्ट अंतरिक्ष संस्था मानी जाती है । मगर उनकी सफलताओं के पीछे उन्होंने भी कई जनहानि को क्षति पहचाई और कुदरत का उत्खनन किया है । नासा उन्ही खबरों को सार्वजनिक करती है जो उनके काम के बारे में होती है उनको नही जो उनकी खामियां पता चले । क्या मेरे इस विचार से आप भी सहमत है ? नहीं तो क्यों ? जो भी आपको सही लगे हमे अपने विचार साझा करे । 

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